basant panchmi 2023

वसंत ऋतु का मन में स्मरण होते ही भारतीय परंपरा के तीन आयाम- प्रेम, होली व सरस्वती पूजन की पारम्परिक छवि मानस पटल पर अंकित महसूस होने लगती है। भारतीय जनमानस में वसंत की ऋतु सहस्त्राब्दियों से प्रीति की ऋतु अर्थात प्रेम का आयाम स्थापित करने वाली काल मानी जाती रह है। किम्बदंतियों से लेकर पौराणिक व लोक साहित्य तक में प्रेम के देव व देवी कामदेव व रति के वृहत रूप से धर्मात्मक व रूपकात्मक वर्णन अंकित व श्रुत्य प्राप्य हैं। इससे संयुक्त सांस्कृतिक पर्व होली है, जो अतिप्राचीन काल से वसंतोत्सव, मदनोत्सव आदि अनेक नामों से विभिन्न रंगों की बौछार कर रही है। वसंत का एक अन्य मेधात्मक रूप है –सरस्वती पूजन। वाक सरस्वती वसंतपंचमी की मूल अधिष्ठात्री देवी हैं । वसंत ऋतु प्रेम की ऋतु मानी जाती है। वसंत में ऋतु सर्वाधिक सुखद होती है। प्रकृति भी सर्वादिक पुष्पित होती है ।

पौराणिक मान्यता के अनुसार माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि को सरस्वती का जन्म हुआ था। पीला रंग ही वासंती रंग माना गया है। इन दिनों सरसों के फूले पीले रंग का विस्तार देखकर यह उचित प्रतीत होता है। इस मौसम में प्रकृति में पीले रंग की प्रधानता होती है। सात रंगों के वर्णक्रम में पीला रंग पाँचवें स्थान पर आता है, इसीलिए वसंत के साथ पंचमी जुड़ा है। वसंत का स्वरूप पंचम शब्द से कुछ अधिक ही गहरे से जुड़ा है। पौराणिक ग्रन्थों में ऋतूनां कुसुमाकरः नाम से अभिहित ऋतुराज वसंत के नायक पुष्पधन्वा कामदेव को संस्कृति में पंचशर कहा गया है। पुष्पधन्वा कामदेव के तरकश में पाँच बाण हैं- आम, अशोक, चंपा, नीलकमल, श्वेतकमल। वसंत ऋतु पंच इंद्रियों व उनके तन्मात्र- शब्द, स्पर्श, गन्ध, रूप और रस के लिए सुंदरतम या सुखदतम है। वसंत प्रेम का प्रवर्तक है तो कला का प्रतीक भी है। आनंद में मत्त कर देने वाली संगीत व नृत्य कला का सुन्दरतम प्रतीक है।

 

  • बसंत पंचमी का सनातन धर्म में अत्यधिक महत्व है और इस दिन पीले रंग के उपयोग को शुभ माना जाता है। इस दिन देवी सरस्वती सहित भगवान विष्णु, कामदेव एवं श्रीपंचमी का पूजन किया जाता है। इस दिन देवी सरस्वती की पूजा करना विशेष रूप से फलदायी होता है, वसंत पंचमी पर देवी सरस्वती की पूजा इस प्रकार करें:
  • पूजा स्थान की साफ़-सफाई करने के बाद गंगा जल ऋषि पंचमी का छिड़काव करें। 
  • इसके पश्चात देवी सरस्वती की प्रतिमा को चौकी पर स्थापित करें। 
  • अब सर्वप्रथम विघ्नहर्ता गणेश का ध्यान करें और उसके पश्चात कलश की स्थापना करें। 
  • मां सरस्वती को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
  • इसके बाद देवी को रोली, चंदन, हल्दी, केसर, चंदन, पीले या सफेद रंग के पुष्प और अक्षत अर्पित करें।
  • देवी सरस्वती का आशीर्वाद प्राप्त करने के लिए सरस्वती स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। 
  • अब दोनों हाथ जोड़कर माता सरस्वती का ध्यान एवं उनसे प्रार्थना करें। 
  • अंत में देवी सरस्वती की आरती करें और उन्हें प्रसाद रूप में पीली मिठाई का भोग लगाएं। 

 

 

  22nd January, 2023